
90 साल में बना उत्तर भारत का सबसे विशाल गंगा मंदिर
90 साल में बना उत्तर भारत का सबसे विशाल गंगा मंदिर
जयपुर
उत्तर भारत का सबसे विशाल गंगा मंदिर भरतपुर में स्थित है।इस मंदिर को यहां के महाराजा बलवंत सिंह ने वर्ष 1845 में मंदिर निर्माण की नींव रखी थी। बयाना के बंसी पहाड़पुर के प्रसिद्ध लाल एवं गुलाबी पत्थरों से मंदिर का निर्माण कराया गया। सवाई बृजेंद्र सिंह ने 22 फरवरी 1937 को मंदिर में गंगा मां की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा कराई थी। यह मंदिर दुनिया में विशाल और भव्य गंगा मैया के मंदिरों में से एक है। यहां हर दिन गंगा मैया का गंगाजल से अभिषेक किया जाता है और श्रद्धालुओं को भी प्रसादी के रूप में गंगाजल ही वितरित किया जाता है। मंदिर में पूरे सालभर में 15 हजार लीटर गंगाजल से अभिषेक और प्रसाद वितरित किया जाता है। गंगा मां की मूर्ति का जब श्रृंगार किया जाता है, तो उनके कान में कुंडल और नाक में नथनी मोम के माध्यम से पहनाई जाती है।गंगा मंदिर की दो मंजिला इमारत 30 से ज्यादा खंभों पर टिकी हुई है। मंदिर का सामने का भाग मुगल शैली पर आधारित है। जबकि पीछे का हिस्सा बौद्ध शैली में निर्मित किया गया है। मंदिर में छतों पर बने फूल पत्ते खंभों की सपाट दरवाजों पर पच्चीकारी मेहराबों की गढ़ाई अपने आप में आकर्षक हैं।
भरतपुर के महाराजा बलवंत सिंह को कोई संतान नहीं थी। पुरोहित की सलाह पर उन्होंने हरिद्वार के हर की पौड़ी पर गंगा मैया से प्रार्थना की। कुछ समय पश्चात उनको महाराजा जसवंत सिंह के रूप में पुत्र प्राप्ति हुई। तब महाराजा बलवंत सिंह ने वर्ष 1845 में गंगा मां के मंदिर के निर्माण की नींव रखी। महाराजा बलवंत सिंह के बाद भी 4 पीढ़ियों तक मंदिर का निर्माण कार्य चलता रहा और 5 पीढ़ियों ने 90 वर्ष में मंदिर का निर्माण पूर्ण कराया। सवाई बृजेंद्र सिंह ने 22 फरवरी 1937 को मंदिर में गंगा मां की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा कराई। ग्रामीणों ने बताया की ये मंदिर पर्यटकों की पहली पसंद बनता जा रहा हैं।
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