
विवाह का वादा टूटने पर दुष्कर्म का केस नहीं बनता सुप्रीम कोर्ट
विवाह का वादा टूटने पर दुष्कर्म का केस नहीं बनता सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा कि यदि दो वयस्कों में सहमति से बना रिश्ता टूट जाता है। या दोनों में किसी कारण दूरी आ जाती है। तो इसे शादी का झूठा वादा बताकर दुष्कर्म का केस नहीं बनाया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों से न केवल न्याय व्यवस्था पर अनावश्यक बोझ पड़ता है। बल्कि आरोपी व्यक्ति की सामाजिक छवि को नुकसान होता है। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने यह टिप्पणी की साथ ही महाराष्ट्र के अमोल भगवान नेहुल के खिलाफ दुष्कर्म केस रद्द कर दिया। कोर्ट ने कहा शादी का वादा तोड़ने को झूठा वादा करार देकर धारा 376 के तहत दुष्कर्म का केस करना गलत है। कोर्ट ने कहा कि इस प्रवृत्ति पर पहले भी चिंता जताई जा चुकी है। आरोपी नेहुल ने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। जिसमें उस पर दर्ज आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने से इनकार कर दिया गया था। ऐसे मामलों से न केवल न्याय व्यवस्था पर बोझ पड़ता है। बल्कि आरोपी की सामाजिक छवि को भी नुकसान होता है।जस्टिस बीवी नागरत्ना ने 3 बड़े कारण बताए जो आधार बने। पहला कारण एफआईआर 13 महीने बाद दर्ज करवाना कोर्ट ने कहा इतनी देरी से दर्ज की गई शिकायत से आरोपों की सच्चाई पर संदेह पैदा होता है। दूसरा कारण मेडिकल रिपोर्ट में प्रमाण नहीं होना बताया। महिला की मेडिकल रिपोर्ट में भी जबरन यौन संबंध या अप्राकृतिक यौनाचार के प्रमाण नहीं मिले। तीसरा कारण आरोप और व्यवहार अलग तो दोनों ने एक साल से ज्यादा समय तक संबंध रखे। महिला दो बार लॉज में भी साथ गई वो क्या है।
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